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“India Suspends Indus Waters Treaty: जानिए इतिहास, महत्व और पाकिस्तान की मुश्किलें”

India Suspends Indus Waters Treaty

India Suspends Indus Waters Treaty

सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty): इतिहास, महत्व, और वर्तमान विवाद

अप्रैल 2025 में कश्मीर में हुए एक बड़े आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ अपनी सबसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण जल संधि — सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) — को निलंबित (suspend) कर दिया है। इस फैसले ने न सिर्फ दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ा दिया, बल्कि दुनियाभर का ध्यान भी दक्षिण एशिया की जल राजनीति पर केंद्रित कर दिया है।


सिंधु जल संधि क्या है?

सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल का न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण बंटवारा करना है।
यह संधि विश्व बैंक (World Bank) की मध्यस्थता में हुई थी।

From left to right: Jawaharlal Nehru, Prime Minister of India; Mohammed Ayub Khan, President of Pakistan; and William Illiff, World Bank vice president (30263783; Credit: The World Bank).

19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस ऐतिहासिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे।


मुख्य प्रावधान और जल का बंटवारा


संधि का ऐतिहासिक और कूटनीतिक महत्व


हाल की घटना: सिंधु जल संधि का निलंबन (April 2025)

अप्रैल 2025 में कश्मीर में आतंकी हमले के बाद, भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने और पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंध घटाने का ऐलान किया।
यह फैसला ऐतिहासिक इसलिए है क्योंकि:


सिंधु जल संधि रद्द होने से पाकिस्तान पर प्रभाव

Pakistan in trouble due to sindhu river water ban by India

सिंधु जल संधि का रद्द होना पाकिस्तान के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्तित्व के लिए बड़ा संकट बन सकता है।


निष्कर्ष

सिंधु जल संधि सिर्फ एक जल समझौता नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों, दक्षिण एशिया की राजनीति, और करोड़ों लोगों की आजीविका की जीवनरेखा है।
आज जब यह संधि निलंबन के कगार पर है, तब जल की राजनीति और कूटनीति का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। आने वाले समय में दोनों देशों के फैसले सिर्फ आपसी संबंध ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा भी तय करेंगे।

क्या भारत का ये फैसला सही है? कमेंट बॉक्स में हमें ज़रूर बताएं.

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