Written By:Dr.Saleem
“क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?”
इस सवाल का जवाब खोजने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है भारतीय मूल के वैज्ञानिक Dr. Nikku Madhusudhan ने। University of Cambridge के इस Astrophysicist की टीम ने एक दूरस्थ ग्रह K2-18b की atmosphere में ऐसे chemical signatures खोजे हैं जो जीवन की संभावना की ओर इशारा करते हैं।
🧑🔬 Dr. Nikku Madhusudhan कौन हैं?
Dr. Nikku Madhusudhan का जन्म भारत में हुआ था। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई IIT BHU, Varanasi से की और बाद में Planetary Science में PhD की डिग्री MIT (Massachusetts Institute of Technology) से प्राप्त की।
PHOTO- BBC
वर्तमान में वो University of Cambridge के Institute of Astronomy में Professor हैं। वह Exoplanetary Atmospheres (ग्रहों की बाह्य वायुमंडलीय संरचना) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने ही “Hycean Planets” का कांसेप्ट दुनिया के सामने रखा।
👤 व्यक्तिगत विवरण (Personal Details)
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पूरा नाम: Dr. Nikku Madhusudhan
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जन्म वर्ष: 1980
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जन्म स्थान: भारत
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राष्ट्रीयता: भारतीय-ब्रिटिश
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वर्तमान पद: प्रोफेसर, Institute of Astronomy, University of Cambridge
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विशेषज्ञता: Astrophysics और Exoplanetary ScienceResearch.com
🎓 शैक्षणिक पृष्ठभूमि (Educational Background)
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B.Tech: IIT (BHU), वाराणसी
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M.S. और Ph.D.: Massachusetts Institute of Technology (MIT), अमेरिका
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पीएच.डी. सलाहकार: Dr. Sara Seager (प्रसिद्ध Exoplanet विशेषज्ञ)
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थीसिस विषय: “Retrieval of Atmospheric Properties of Extrasolar Planets” (2009)
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🌍 क्या है K2-18b और क्यों बना यह चर्चा का विषय?
K2-18b एक Hycean World है — यानी ऐसा ग्रह जिसकी atmosphere hydrogen-rich होती है और सतह पर ocean भी मौजूद हो सकता है। यह ग्रह पृथ्वी से करीब 124 light-years दूर स्थित है।
An artist’s conception of a Hycean exoplanet like K2-18b orbiting a red dwarf star.Credit…A. Smith, N. Madhusudhan/University of Cambridge
Dr. Madhusudhan की टीम ने इस ग्रह की atmosphere में Dimethyl Sulfide (DMS) की मौजूदगी का संकेत पाया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि DMS पृथ्वी पर केवल जीवित जीवों, खासकर समुद्री Phytoplankton, द्वारा ही बनाया जाता है। अगर यह संकेत सही हैं, तो यह Alien Life के पहले credible संकेत माने जा सकते हैं।
🔬 Biosignature का मतलब क्या होता है?
Biosignatures वो संकेत होते हैं जो किसी ग्रह पर जीवन (life) के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं — जैसे कि:
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Methane (CH₄)
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Carbon Dioxide (CO₂)
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Dimethyl Sulfide (DMS)
K2-18b की atmosphere में methane और carbon dioxide पहले ही पाए जा चुके हैं, लेकिन अब DMS ने इसे और भी रोमांचक बना दिया है।
पूरी जानकारी के लिए आप पढ़ सकते है- https://gyaniindians.com/alien-life/
🚨 पर वैज्ञानिक सतर्कता जरूरी है
हालांकि यह एक रोमांचक खोज है, Dr. Madhusudhan ने खुद कहा है कि हमें confirmation के लिए और डेटा की ज़रूरत है। अभी तक जो DMS सिग्नल मिला है, वो 3-sigma confidence level पर है, लेकिन वैज्ञानिक दुनिया में इसे पक्का मानने के लिए 5-sigma चाहिए होता है।
अगले स्टेप में वे और observation के लिए James Webb Space Telescope (JWST) का प्रयोग करेंगे।
🌠 क्या ये Alien Life की खोज है?
अगर यह प्रमाणित होता है कि DMS वास्तव में K2-18b की atmosphere में है, और उसका स्रोत जैविक (biological) है — तो यह ब्रह्मांड में जीवन की खोज में सबसे बड़ी सफलता हो सकती है।
Dr. Nikku Madhusudhan की यह रिसर्च दिखाती है कि भारतीय मूल के वैज्ञानिक कैसे वैश्विक स्तर पर साइंस की दुनिया को reshape कर रहे हैं।
Nikku Madhusudhan is a professor of Astrophysics and Exoplanetary Science at Cambridge University’s Institute of Astronomy.(X)
🏆 प्रमुख पुरस्कार और सम्मान (Major Awards & Honors)
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ASI Vainu Bappu Gold Medal – 2014
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IUPAP Young Scientist Medal in Astrophysics – 2016
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MERAC Prize in Theoretical Astrophysics (European Astronomical Society) – 2019
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Pilkington Prize for Excellence in Teaching (University of Cambridge) – 2019
🔬 प्रमुख वैज्ञानिक योगदान (Key Scientific Contributions)
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Atmospheric Retrieval Techniques: Exoplanet की वायुमंडलीय संरचना का विश्लेषण करने के लिए उन्नत तकनीकों का विकास।
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Carbon-rich Exoplanets: 2012 में 55 Cancri e ग्रह के कार्बन-समृद्ध आंतरिक संरचना का प्रस्ताव।
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Hycean Planets: 2021 में “Hycean” शब्द की परिभाषा, जो ऐसे ग्रहों को दर्शाता है जिनकी सतह पर महासागर होते हैं और वातावरण हाइड्रोजन-समृद्ध होता है।
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K2-18b पर DMS की खोज: 2025 में, K2-18b ग्रह की वायुमंडलीय संरचना में Dimethyl Sulfide (DMS) की उपस्थिति का संकेत, जो पृथ्वी पर केवल जीवित जीवों द्वारा उत्पादित होता है।Wikipedia
📌 निष्कर्ष
Dr. Nikku Madhusudhan की टीम की यह खोज न केवल भारत बल्कि पूरी मानवता के लिए गर्व की बात है। यह हमें उस दिन के और करीब ले जा रही है जब हम शायद कह सकें — “हम अकेले नहीं हैं!”